संतानसौख्य (हिंदी)


मनष्ुय जीवन को सार्थकर्थ बनानेवाली चनिुनिदं ा परमसौख्यदायी घटनाओंमेंसेसतं ानप्राप्ती एक प्रमखु शभु घटना है। अपनेवशं वक्षृ को बढ़तेऔर समद्ृ ध होतेदेखनेका सखु मि लना सौभाग्य की नि शानी है। जीवन के कि सी न कि सी मोड़ पर हर इंसान इस बात को लेकर उत्सकु ता रहती हैकि यह सतं ान सौख्य हैया नहींऔर कैसा है। इस प्रश्न का उत्तर देनेका सबसेआसान तरीका ज्योति षशास्त्र है। जन्मकंुडली मेंसतं तीसौख्य कारक एवंसमस्त सखु ों के दाता गरुुदेव हैऔर कालपरुुष की कंुडली के अनसु ार पचं मस्थान येसतं तीस्थान है। इस पचं मस्थान मेंराशि यों, ग्रहों, नक्षत्रों आदि योगों का अनकुूल या प्रति कूल प्रभाव उस जातक की सतं ानसखु पर पड़ता है। बहुप्रसव राशि यों की उपस्थि ति अधि क सतं ान देती है। राशि में शभु ग्रहों की उपस्थि ति सतं ान सौख्य प्रदान करती है। पचं मस्थान पर अशभु ग्रहों की दृष्टि सतं ान के लि ए बड़ी बाधा मानी जाती है। शनि महाराज के प्रभाव मेंसतं ान देर सेऔर लबं ेप्रयास के बाद होती है। क्योंकि शनि महाराज देर सेफल देने वाला ग्रह है।उम्मीद सेअधि क या अत्यधि क वि लबं , भागा दौड़, एक के बाद एक उठ रहेप्रश्न, उनकी सचू ी और उन्हेंहल करनेमेंथकान और नि राशा सेबचना व्यक्ति के लि ए मश्किुश्कि ल हो जाता है। अन्य दैत्यग्रहों के प्रभाव सेयह सतं ान मार्ग अधि कही बाधि त और दष्ुप्रभावि त हो जाता है। प्राकृति क या अप्राकृति क गर्भपर्भ ात मनष्ुय को अधि क सवं ेदनशील बनातेहैं। इसलि ए सतं ान प्राप्ति के समय तज्ञ ज्योति षि यों का मार्गदर्ग र्शनर्श बहूमल्ूय होता है। क्योंकि यह प्रश्न सि र्फ नववि वाहि तों का ही नहींबल्कि इस सष्टिृष्टि मेंनया जीवन धारण करणेके लि ए उत्सकु जीव का भी है। नवयगु लु ोंकी की शारीरि क और मानसि क परि पक्वता, इसके स्वागत के लि ए आवश्यक होती है। सतं ान प्राप्ती के बाद, हमेंधन्य महससू करना चाहि ए, हमारेबच्चेहमारी सपं त्ति नहीं हैं, बल्कि प्रकृति द्वारा हमेंएक नया जीवन का नि र्मा ण करनेका अवसर दि या गया है। यदि हम बच्चों के पालन पोषण मेंसमर्पणर्प की भावना वि कसि त नहींकरतेहैं, तो नि सर्ग का यह अमल्ूय दान व्यर्थ हो जाता है। "हम बच्चों के पालक हैं, मालक नहीं," यह बात याद रखनी चाहि ए। यदि आप इसके अनरूु प अपना कर्तव्र्त य नहींनि भातेहैं, तो अपनेवर्तमर्त ान जन्म कंुडली मेंप्राप्त सखु सतं ान सखु अगलेजन्म कंुडली मेंकैसेप्राप्त करेंगे? इस समय एक सदंुर मराठी गीत याद आता है, *"बाळा होऊ कशी उतराई,* *तझ्ु यामळु ेमी झालेआई ।"*


श्री. केदार महाडीक, ज्योतिष पडित, पण्डित।